रविवार, 4 मार्च 2012

हनुमान जी सी शक्तियां अगर किसी अमेरिकी लड़के में आज होती, तो वह जॉश ट्रैंक की इस फिल्म का किरदार होता

फिल्मः क्रॉनिकल (अंग्रेजी)
निर्देशकः जॉश ट्रैंक
लेखकः मैक्स लैंडिस और जॉश ट्रैंक
कास्टः डेन डहान, माइकल कैली, एलेक्स रसेल, माइकल बी. जॉर्डन
स्टारः साढ़े तीन, 3.5/5

अद्भुत। असरदार। असाधारण होते हुए भी साधारण रहने की कोशिश करती हुई। ये है सिर्फ 27 साल के डेब्युटेंट डायरेक्टर जॉश ट्रैंक की कुशलता से बनी फिल्म 'क्रॉनिकल’। फाउंड फुटेज जॉनर की शायद ये अब तक की पहली नॉन-हॉरर फिल्म है। कहानी है कॉलेज में पढ़ने वाले एंड्रयू (डेन डहान) की, जो एक कैमरा खरीदकर अपनी जिंदगी की हर चीज रिकॉर्ड करनी शुरू करता है। कॉलेज में उसे ताकतवर लड़के दबाते-पीटते हैं, गली में लोकल लड़के और घर में गुस्सैल-हिंसक पिता (माइकल कैली) जो अग्निशमन कर्मी हुआ करता था। एक एक्सीडेंट के बाद उसे जबरन रिटायर होना पड़ा और उसी से वह कुंठित रहता है। एंड्रयू अपनी केंसर से मर रही मां से बहुत प्यार कर रहा है, पर जिंदगी के हर पहलू में वह खुद को कमजोर और शोषित पाता है।

एक दिन पार्टी में पिटे जाने के बाद जब वह बाहर बैठकर रो रहा होता है तो उसके कजिन भाई मैट (एलेक्स रसेल) का दोस्त स्टीव (माइकल बी. जॉर्डन) उसे बुलाता है और कुछ दूर मैदान में हुए रहस्यमयी छेद को वीडियो रिकॉर्ड करने को कहता है। इसमें से बेहद भयंकर कंपन की आवाज आ रही होती है। फिर तीनों छेद में जाते हैं। कुछ दिन बाद तीनों महसूस करते हैं कि उनमें कुछ सुपरह्यूमन शक्तियां आ गई हैं। इन टेलीकनेटिक शक्तियों में ये अपनी दिमागी ताकत से कुछ भी कर सकते हैं। मगर बॉयज विल बी बॉयज। ये अपने दिमाग से संचालित बास्केटबॉल एक-दूसरे पर फैंकते हैं, करीब से गुजर रही लड़कियों के स्कर्ट उड़ाते हैं, डिनर फॉर्क को हाथ पर घोंपने का खेल खेलते हैं, बादलों से ऊपर उड़ते हैं और मॉल में लोगों को डराते हैं। लेकिन ताकत हमेशा जिम्मेदारी के साथ आती है, अगर ध्यान नहीं देंगे तो उसका बुरा असर सामने आता है। फिल्म में भी यही होता है।

'क्रॉनिकल का स्टोरी आइडिया और फिल्ममेकिंग कमाल की है। शुरू में आपको लगता है कि पता नहीं किस बेकार फिल्म को देखने आ गए हैं, मगर खत्म होते-होते ये अपना रुतबा बहुत बढ़ा चुकी होती है। इसके किरदार 'लव सेक्स और धोखाऔर अमेरिकी फिल्म 'टैरी के किरदारों जितने तुच्छ और असली हैं। तो उतने ही 'कैप्टन अमेरिका, 'आयरनमैन और 'सुपरमैन जितने काल्पनिक और महाशक्तिशाली। इस स्मार्ट संकल्पना वाली कहानी का श्रेय जाता है कॉमिक्स और वीडियो गेम्स के दीवाने डायरेक्टर जॉश और ब्रिलियंट यंग स्क्रीनप्ले राइटर मैक्स लैंडिस को। जॉश का निर्देशन कहीं भी कांपता नहीं है। एंड्रयू के रोल में डेन डहान इतने प्रभावी हैं कि ' बास्केटबॉल डायरीज और 'वट्स ईटिंग गिल्बर्ट ग्रैपमें लियोनार्डो डी कैप्रियो के चेहरे-मोहरे और अभिनय की याद दिलाते हैं। डेन काफी आगे जाएंगे। फिल्म का सीक्वल भी बन सकता है और उसमें एलेक्स रसेल मुख्य भूमिका में होंगे। सिनेमैटोग्रफर मैथ्यू जेनसन 'क्रॉनिकल’ को फाउंड फुटेज मूवी बनाए रखने में खरे उतरते हैं। पूरी फिल्म में कहीं नहीं लगता कि ये कोई फिल्म है और इसे कोई कैमरामैन शूट कर रहा है। एक फिल्म की सबसे बड़ी खासियत यही होती है।

मैक्स लैंडिस बहुत कम उम्र में दर्जनों स्क्रीनप्ले लिख चुके हैं और 'क्रॉनिकल’ उनका पहला धमाका है। इसमें एक नयापन है। आधार तो सुपरहीरो फिल्में ही हैं, पर असर कॉपी किया हुआ नहीं लगता।

बरसात में पीछे से हॉर्न मार रहे गाड़ीवाले को एंड्रयू नदी में फैंक देता है, पर ऐसा नहीं है कि यहां ये तीनों दोस्त कुछ सुपरहीरो जैसा करते हैं, ये आम इंसानों की ही तरह डर जाते हैं, एक नदी में कूदता है और ड्राइवर को बचाकर लाता है, फिर 911 कॉल करते हैं, एम्ब्युलेंस बुलाते हैं।

शक्तियां अगर बिन मेहनत के आ जाएं तो कोई लड़का क्या करेगा। पहले तो मसखरी, शरारतें और दूसरों को थोड़ा सताने वाला काम करेगा। फिर अपनी पर्सनल इमोशनल प्रॉब्लम्स से जन्मे गुस्से को खुद पर हावी होकर खुद को बुरा बनने लगेगा। कॉलेज के टेलेंट शो में हिस्सा लेकर शॉर्ट सक्सेस पाने की कोशिश। मां की दवाई के लिए पैसा चाहिए तो एंड्रयू क्या करता है। कोई बैंक नहीं लूटता। वह अपने पिता की पुरानी फायरफाइटर वाली (जो उसपर बहुत ढीली रहती है) ड्रेस पहनकर पहले गली के बदमाश लड़कों को लूटता है। उनके बटुओं में तो बहुत कम पैसे मिलते हैं, फिर पास के पेट्रोल पंप कम ग्रोसरी स्टोर में जाता है, जहां लूट तो लेता है पर जाते-जाते पेट्रोल पंप पर हुए विस्फोट में घायल हो जाता है। अब अगर ये दूसरी सुपर हीरो फिल्म होती तो भला एक मामूली से पेट्रोल पंप पर वह खुद ब खुद घायल क्यों होता। स्पाइडरमैन या कैप्टन अमेरिका या आयरन मैन की तरह ये परफैक्ट उड़ाके नहीं हैं। एक बार तो ये एक हवाई जहाज से टकराते-टकराते बचते हैं।

ये सारी सुपरह्यूमन होते हुए भी अत्यधिक ह्यूमन बने रहने की जो बारीकियां पटकथा में डाली गई हैं, इसी वजह से मैक्स लैंडिस को ब्रिलियंट कहा जाना चाहिए।
*** *** *** *** *** गजेंद्र सिंह भाटी